deval devi history in hindi देवल देवी deval devi in hindi
कर्णदेव २ (1296 - 1304)
ऐ बात वाघेला वंश अंतिम राजा कर्णदेव २ के बारे में हे जो रामदेव का पुत्र था.
जिसे इतिहास में कर्णघेलो भी कहा जाता हे और देवलदेवी कर्णदेव २ कि पुत्री थी जिसके बारे में आज हम बात करने वाले हे।
ऐ बात वाघेला वंश अंतिम राजा कर्णदेव २ के बारे में हे जो रामदेव का पुत्र था.
जिसे इतिहास में कर्णघेलो भी कहा जाता हे और देवलदेवी कर्णदेव २ कि पुत्री थी जिसके बारे में आज हम बात करने वाले हे।
कर्णदेव २
इसके समय में साल 1299 में अल्लाउदीन खलजी का सरदार उलुगखां और नुसरतख ने गुजरात पे आक्रमण किये थे इस आक्रमण का प्रमुख कारण महामात्य माधव बना था . क्योकि राजा कर्णदेव माधव की पत्नी पे मोहित हो गया था.
इस लिए राजा कर्णदेव ने महामात्य माधव को कच्छ भेज दिया और माधव की पत्नी को लेने के लिए निकल गया। लेकिन इस बात का पता चलते ही माधव की पत्नी ने आत्महत्या की।
इस बात का पता माधव को लगा और वो बदला लेने के लिए खलजी के पास गया और गुजरात को लूटनेका आमंत्रण दिया. खलजी ने पाटन , रूद्रमहालय, और सोमनाथ को लुटा।
इस लिए राजा कर्णदेव ने महामात्य माधव को कच्छ भेज दिया और माधव की पत्नी को लेने के लिए निकल गया। लेकिन इस बात का पता चलते ही माधव की पत्नी ने आत्महत्या की।
इस बात का पता माधव को लगा और वो बदला लेने के लिए खलजी के पास गया और गुजरात को लूटनेका आमंत्रण दिया. खलजी ने पाटन , रूद्रमहालय, और सोमनाथ को लुटा।
इस चढ़ाई में कर्णदेव की राणी कमला देवी (kamaladevi (ex-wife of karna) को पकड़ लिया गया और दिल्ही भेज दिया गया और वह उसको खलजी (कमला देवी अलाउद्दीन खिलजी) के साथ शादी करवादी गई.
सुल्तान ने पाटन के सरवरख़ान को नाजिम घोसित करके गुजरात का वहीवट कार घोसित किया गया
कर्णदेव ने फिरसे पाटन परत ले लिया
सुल्तान ने दूसरीबार जाहितम और पंचमणी को गुजरात पर आक्रमण के लिए भेजा और इसबार कर्णदेव ने हमेशा के लिए राज्य खो दिया (1304)
कर्णदेव आसरा लेने के लिए देवगिरि के यादव राजा राम चंद्र के पास गया. और वहा पे बगलान में शक्ति स्थापित की कर्णदेव की पुत्री देवल देवी भी साथ में थी.
देवल देवी
रामचद्र ने पुत्र सिंगन देव को देवलदेवी के साथ विवाह करने की ईशा जाहिर की लेकिन कर्णदेव ने मना कर दिया।
सुल्तान के सरदार मालिक काफूर ने देवगिरि पे आक्रमण किया लेकिन रास्ते में बगलान में रहते कर्णदेव के साथ युद्ध हुआ इस समय में सिंगन देव ने अपने भाई भिल्लमदेव को देवल देवी को लेने के लिए भेजा।
देवल देवी को लेने के बाद रास्ते में अलपखान के सैनिकों ने देवल देवी को पकड़ा और दिल्ही भेज दिया गया
देवल देवी को लेने के बाद रास्ते में अलपखान के सैनिकों ने देवल देवी को पकड़ा और दिल्ही भेज दिया गया
और देवलदेवी को सहजादा ख़िज़्र ख़ाँ के साथ शादी करवा दी गई।
आमिर खुसरो अपनी कृति "देवल देवी - व् - ख़िज़्र ख़ाँ" में ऐ बात लिखते हे.
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