सोमनाथ मंदिर (Somnath temple)
सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ मंदिर भगवान शिव का धाम हे..
सोमनाथ मदिर गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश में हे जो अरब सागर के बिलकुल पास में ऐ मंदिर हे. इस मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद, स्कंदपुराण , और महाभारत में भी हुआ हे. पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजापति की 27 कन्या ऐ थी और सभी का विवाह चंद्र के साथ हुआ था. रोहिणी सभी बहेनो में सूंदर थी और चंद्र के प्रति इसकी प्रति विवेश आकर्षण था यह जानकर सभी बहेनो को बड़ी इर्षा हुई और उन्होंने इसकी शिकायत अपने पिता दक्ष से की इनके पिता ने चंद्र को समझाया पर चंद्र ने उनकी एक ना सुनी और दक्ष प्रजापति ने चंद्र को राजयक्ष्मा से पीड़ित होने का श्राप दे दिया. इस के कारन चंद्र की शक्ति दिन प्रति दिन काम होती गई यह देख सब देवता ओ ने मिलकर चंद्र को दिए गए श्राप वापस लेने के लिए भ्रमा से अनुरोध किया भ्रमा ने कहा में दक्ष से दिया गया श्राप तो वापस नहीं ले सकता लेकिन श्राप मुक्ति का उपाय बता सकता हु. भ्रमा ने चंद्र से कहा वो प्रभास जाये और शिवलिंग की पूजा करे. जिस के कारन भगवान शिव के भक्त चंद्रे के नाम से वो सोमनाथ कहे लाये.
सोमनाथ मदिर गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश में हे जो अरब सागर के बिलकुल पास में ऐ मंदिर हे. इस मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद, स्कंदपुराण , और महाभारत में भी हुआ हे. पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजापति की 27 कन्या ऐ थी और सभी का विवाह चंद्र के साथ हुआ था. रोहिणी सभी बहेनो में सूंदर थी और चंद्र के प्रति इसकी प्रति विवेश आकर्षण था यह जानकर सभी बहेनो को बड़ी इर्षा हुई और उन्होंने इसकी शिकायत अपने पिता दक्ष से की इनके पिता ने चंद्र को समझाया पर चंद्र ने उनकी एक ना सुनी और दक्ष प्रजापति ने चंद्र को राजयक्ष्मा से पीड़ित होने का श्राप दे दिया. इस के कारन चंद्र की शक्ति दिन प्रति दिन काम होती गई यह देख सब देवता ओ ने मिलकर चंद्र को दिए गए श्राप वापस लेने के लिए भ्रमा से अनुरोध किया भ्रमा ने कहा में दक्ष से दिया गया श्राप तो वापस नहीं ले सकता लेकिन श्राप मुक्ति का उपाय बता सकता हु. भ्रमा ने चंद्र से कहा वो प्रभास जाये और शिवलिंग की पूजा करे. जिस के कारन भगवान शिव के भक्त चंद्रे के नाम से वो सोमनाथ कहे लाये.
सोमनाथ |
कहा जाता हे की सत युग में सोमराज ने सुवर्ण मंदिर बनवाया. त्रेता युग में दशानन रावण ने रजत का मंदिर बनवाया था. द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने चंदनकाष्ट से मंदिर का निर्माण किया था.....
आजसे करीबन 1000 साल पहले भगवान शिव का एक बडासा सूंदर मंदिर मौजूद था. इस मंदिर पर 56 स्तंभ पर सुवर्ण हीरे और रत्न जड़े हुए थे. सारे भारत में सोमनाथ प्रति अटूट आस्था थी.. श्री सोमनाथ का वैभव का कारन वो था की इस समय यहका बंदर गाह विश्व व्यापर का केंद्र था. 11 सताब्दी से लेकर 1950 तक पुनः निर्माण का सील सिला चलताहि रहा. महूमद गजनवी ऐ 1026 में आक्रमण करके लुटा. गजनवी के बाद अल्लाउदीन खिलजी , महमूद बेगड़ा, और ओरंगजेब के सेनापति ने भी पुनः पुनः इस मंदिर को लुटा. राजा भीमदेव , सिद्धराज , कुमारपर ने मंदिर का पुनः निर्माण किया. श्री सोमनाथ मंदिर की रक्षा के लिए कही युद्ध हुए. श्री सोमनाथ सोमनाथ मंदिर की रक्षा के लिए लाठी के राजकुमार हमीरजी की सहादतीय की निसानिया आज भी मौजूद हे.
13 नवम्बर 1947 के दिन सरदार पटेल , जाम साहेब दिग्विजय सिंह सौराष्ट्र के मुख्य मंत्री उच्चेंगराव ढेबर , कनैया लाल मुन्सी , और काका गाडगील ने सोमनाथ मंदिर के दर्शन किये. आदाताइयो द्वारा ध्वस्त किये गए सोमनाथ मंदिर के विनास पर सरदार पटेल का मन भर आया. जन सभा में समुद्र का जल हाथ में लेकर सरदार पटेल ने कहा " हम श्री सोमनाथ मंदिर का पुनः निर्माण करेंगे देश स्वतंत्र हुआ हे। करोडो लोगो की आस्था इस स्थान से जुडी हुई हे। इन करोडो का यह श्रद्धा स्थल का पुनः निर्माण ही आजादी की भावना से जुड़ा हुआ हे। " अलबेरुनी और मार्क पोलो ने वर्णन किया था की " यह मंदिर अति समृद्ध था, इसके निभाव के लिए 10000 गांव थे , अभिसेक का जल गंगा से आते थे, गर्भगृव में हिये जवाहरात की मुर्तिया थी." इस मंदिर विशेषता यह हे की 800 साल बाद नगरशैली से निर्माण हुआ यह प्रथम देवालय हे. भारत प्रथम राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रशाद से मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हाई।
श्री सोमनाथ मंदिर का संचालन ट्रस्टी द्वारा होता हे.. जिन के अध्यक्ष केशुभाई पटेल, लाल कृष्ण अडवाणी , नरेंद्र मोदी , अमित शाह....... हे. सत सत नमन श्री सोमनाथ को और सत सत नमन सरदार पटेल को.
सोमनाथ |
13 नवम्बर 1947 के दिन सरदार पटेल , जाम साहेब दिग्विजय सिंह सौराष्ट्र के मुख्य मंत्री उच्चेंगराव ढेबर , कनैया लाल मुन्सी , और काका गाडगील ने सोमनाथ मंदिर के दर्शन किये. आदाताइयो द्वारा ध्वस्त किये गए सोमनाथ मंदिर के विनास पर सरदार पटेल का मन भर आया. जन सभा में समुद्र का जल हाथ में लेकर सरदार पटेल ने कहा " हम श्री सोमनाथ मंदिर का पुनः निर्माण करेंगे देश स्वतंत्र हुआ हे। करोडो लोगो की आस्था इस स्थान से जुडी हुई हे। इन करोडो का यह श्रद्धा स्थल का पुनः निर्माण ही आजादी की भावना से जुड़ा हुआ हे। " अलबेरुनी और मार्क पोलो ने वर्णन किया था की " यह मंदिर अति समृद्ध था, इसके निभाव के लिए 10000 गांव थे , अभिसेक का जल गंगा से आते थे, गर्भगृव में हिये जवाहरात की मुर्तिया थी." इस मंदिर विशेषता यह हे की 800 साल बाद नगरशैली से निर्माण हुआ यह प्रथम देवालय हे. भारत प्रथम राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रशाद से मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हाई।
जिनके दृठ संकल्प से मंदिर का निर्माण होसका वो सरदार पटेल की प्रतिमा का गुजरात के लोक सेवक श्री रवि शंकर महाराज ने अनावरण करके राष्ट्र को समर्प्रित किया. सरदार पटेल की इस प्रतिमा इस लिए अजोड़ हे की इस की दृस्टि हर समय भगवान सोमनाथ का दर्शन करती हे.
सोमनाथ |
श्री सोमनाथ मंदिर का संचालन ट्रस्टी द्वारा होता हे.. जिन के अध्यक्ष केशुभाई पटेल, लाल कृष्ण अडवाणी , नरेंद्र मोदी , अमित शाह....... हे. सत सत नमन श्री सोमनाथ को और सत सत नमन सरदार पटेल को.
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